2003 में दिल्ली में शराब बिक्री के लिए वेंडर्स को L1, L10 लाइसेंस दिया जाता था। L1 दुकानें DDA से अप्रूव्ड जगहों पर चलती थी। L10 दुकानों के लाइसेंस शॉपिंग मॉल के लिए।
22 मार्च, 2021 में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति की घोषणा की। तब उन्होंने नई नीति से माफियाराज खत्म होने और सरकार का खजाना भरने की बात कही थी।
दिल्ली में नई शराब नीति लागू होने के समय 60 प्रतिशत शराब की दुकानें सरकारी और 40 परसेंट वाइन शॉप प्राइवेट थे।
17 नवंबर, 2021 को दिल्ली में नई शराब नीति लागू कर दी गई। इससे शराब कारोबार निजी हाथों में चला गया और इससे सरकार बाहर हो गई। राज्य को 32 जोन में बांटा गया,हर जोन में 27 शराब दुकानें
8 जुलाई, 2022 को दिल्ली के सीएस यानी मुख्य सचिव नरेश कुमार (Naresh Kumar) ने नई शराब नीति में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया। इससे जुड़ी एक फाइल LG वीके सक्सेना को सौंपी।
एलजी वीके सक्सेना ने रिपोर्ट मिलने के बाद कहा कि उनके और कैबिनेट के बिना ही नई शराब नीति लागू हुई। मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने CBI जांच की मांग की।
जब इस मामले में विवाद बढ़ा, तब 28 जुलाई, 2022 को अरविंद केजरीवाल की सरकार ने नई शराब नीति को रद्द कर दिया। दोबारा से पुरानी शराब नीति ही लागू करने का फैसला लिया।
17 अगस्त, 2022 में जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर लिया। इसमें मनीष सिसोदिया, 3 रिटायर्ड सरकारी अधिकारी, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। सभी पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज।
22 अगस्त, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सीबीआई से मामले की जानकारी लेकर इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्द किया।
26 फरवरी, 2023 को मनीष सिसोदिया, 4 अक्टूबर, 2023 को संजय सिंह और 21 मार्च, 2024 को अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार किया गया।