11 जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन में 11 मिनट के भीतर एक के बाद एक 7 धमाके हुए। शाम 06:24–06:35 के बीच धमाकों में 210 लोगों की जान गई थी और 700 से ज्यादा घायल हुए थे।
वर्ष 1993 में मुंबई में लगातार 12 सीरियल ब्लास्ट से मायानगरी दहल उठी थी। इस हमले में 257 जानें गई थीं और 1400 लोग घायल हुए थे। इस हमले में दाउद इब्राहिम का हाथ था।
मुंबई में 26 नवंबर 2011 को हुआ आतंकी हमला भुलाया नहीं जाता। नरीमन हाउस, होटल ताज, होटल ओबेराय और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर नरसंहार किया। 166 लोग मारे गए और 293 घायल हुए थे।
13 दिसबंर 2001 को आतंकवादियों ने संसद पर हमला कर दिया था। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांचों आतंकी ढेर कर दिए गए थे जबकि 3 पुलिस जवान और तीन कर्मचारी भी शहीद हुए थे।
असम में 30 अक्टूबर 2008 को कई इलाकों में एक के बाद एक कुल 18 धमाके हुए थे। इन धमाकों में 80 लोगों की जान चली गई थी जबकि 500 से अधिक लोग घायल हुए थे।
जयपुर में वर्ष 2008 में हनुमान मंदिर के पास बम ब्लास्ट हुआ था। इस घटना में 71 लोगों की जान चली गई थी। धमाकों में 185 से अधिक लोग घायल भी हुए थे।
13 सितंबर 2002 को अक्षरधाम मंदिर में आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले में 13 लोगों की जान गई थी। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकियों को जवानों ने ढेर कर दिया था।
अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को आतंकियों ने ब्लास्ट किया था। हमले में तीन लोगों की जान चली गई थी जबकि 17 घायल हो गए थे।
13 सितंबर 2008 में दिल्ली सीरियल ब्लास्ट में 20 लोग मारे गए थे, 90 घायल हुए थे। कनॉट प्लेस, करोल बाग की गफ्फार मार्केट एवं ग्रेटर कैलाश-1 बाजार में 30 मिनट में चार धमाके हुए थे।
27 जुलाई 2015 में गुरुदासपुर में आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले तीनों आतंकी मारे गए थे। इस हमलें तीन पुलिस जवान और तीन आम नागरिकों की जान चली गई थी।