देश में एक बार फिर इमरजेंसी की चर्चा तेज है। 50 साल पहले 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया था। इस दौरान नागरिक स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी।
संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को आपातकाल घोषित करने की शक्ति देता है। ऐसा देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा होने पर किया जा सकता है। चाहे वह युद्ध, आक्रमण या विद्रोह के कारण हो।
25 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद HC के उस फैसले पर रोक लगाई थी, जिसमें इंदिरा के चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था। SC ने गांधी को संसदीय कार्यवाही से दूर रहने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ देर बाद इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देर रात ऑल इंडिया रेडियो पर आपातकाल लागू करने की घोषणा की।
इंदिरा गांधी ने आधी रात को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था, "राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है। घबराने की बात नहीं है।" इसके बाद विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई थी।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की थी। उन्हें तत्कालीन 521 लोकसभा सीटों में से 352 सीटों पर जीत मिली थी।
दिसंबर 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराकर पाकिस्तान को करारा झटका देने के बाद इंदिरा गांधी के सितारे बुलंदियों पर थे।
उस समय गुजरात में छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन, बिहार में जेपी आंदोलन, 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल और 12 जून 1975 को इलाहाबाद HC के फैसले जैसी घटनाएं हुईं।
गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई। इंदिरा को अपनी कुर्सी पर खतरा दिखा। 26 जून 1975 को दिल्ली में विपक्ष की रैली होने वाली थी। इससे पहले ही उन्होंने आपातकाल लगा दिया।
आपातकाल लगाने के बाद जेपी, लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी और मोरारजी देसाई समेत बहुत से विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
इमरजेंसी के दौरान संविधान से मिले नागरिकों के अधिकार खत्म कर दिए गए थे। सरकार के पास पूरी ताकत आ गई थी। मीडिया पर पूरी तरह सेंसरशिप था। लोगों की जबरन सामूहिक नसबंदी की गई।
इमरजेंसी ने देश की राजनीति को बदला। कांग्रेस के खिलाफ पार्टियां एकजुट हुईं। उन्हें जनता ने समर्थन दिया। विपक्षी दलों को मिले जनसमर्थन के चलते इंदिरा ने चुनाव कराने का ऐलान किया।
चुनाव में कांग्रेस हार गई। 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी हटाया गया। जनता दल की सरकार बनी। इसके बाद देश में कई क्षेत्रीय दल उभरे, भाजपा तेजी से बढ़ी, लेकिन कांग्रेस का जनाधार कम हो गया।