मोदी ने 'मां' शीर्षक से लिखे अपने ब्लॉग में कहा था- मेरी मां का मुझ पर बहुत अटूट विश्वास रहा है। उन्हें अपने दिए संस्कारों पर पूरा भरोसा रहा है।
मोदी के मुताबिक, मुझे दशकों पुरानी एक घटना याद आ रही है। तब तक मैं संगठन में रहते हुए जनसेवा के काम में जुट चुका था। घरवालों से संपर्क ना के बराबर ही रह गया था।
उसी दौर में एक बार मेरे बड़े भाई, मां को बद्रीनाथ-केदारनाथ जी के दर्शन कराने ले गए थे। बद्रीनाथ में जब मां ने दर्शन किए तो केदारनाथ में भी लोगों को खबर लग गई कि मेरी मां आ रही हैं।
इसी बीच मौसम खराब हो गया, जिससे लोग केदारघाटी से नीचे की तरफ चल पड़े। वो अपने साथ कंबल भी ले गए। वो रास्ते में बुजुर्ग महिलाओं से पूछते जा रहे थे-क्या आप नरेंद्र मोदी की मां हैं?
ऐसे ही पूछते हुए लोग मां तक पहुंचे। उन्होंने मां को कंबल दिया, चाय पिलाई। फिर वो लोग पूरी यात्रा में मां के साथ ही रहे। केदारनाथ पहुंचने पर उन्होंने मां के रहने का इंतजाम किया।
इस घटना का मां के मन पर बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा। तीर्थ यात्रा से लौटकर जब मां मुझसे मिलीं तो कहा- कुछ तो अच्छा काम कर रहे हो तुम, लोग तुम्हें पहचानते हैं।
इस घटना के कई सालों बाद, जब लोग मां के पास जाकर पूछते थे कि आपका बेटा PM है, आपको गर्व होता होगा। इस पर मां का जवाब बड़ा गहरा होता था।
मां उनसे कहती थी कि जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है। वैसे भी मेरा कुछ नहीं है। मैं तो निमित्त मात्र हूं। वो तो भगवान का है।