22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बने राम मंदिर का उद्धाटन होगा। मंदिर परिसर के आस-पास कईं प्राचीन स्थान हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। कुबेर टीला भी इनमें से एक है।
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कुबेर टीले का धार्मिक महत्व
राम मंदिर परिसर के दक्षिण में कुबेर टीला है, जो थोड़ी ऊंचाई पर है। ये स्थान पुरातात्विक धरोहर है। इसे भी संरक्षित किया जा रहा है। इसका स्थान का धार्मिक महत्व भी है।
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यहीं की थी कुबेरदेव ने तपस्या
कुबेर टीले पर महादेव का एक प्राचीन मंदिर भी है, मान्यता है कि धन के देवता कुबेर ने इसी स्थान पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी, इसलिए इसका नाम कुबेर टीला है।
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कुबेर टीले का हुआ कायाकल्प
राम मंदिर के साथ-साथ कुबेर टीले का भी कायाकल्प किया गया है। यहां 8 मीटर के पंखों वाले जटायु की मूर्ति लगाई गई है और टीले के चारों ओर मिट्टी की रिटेनिंग वॉल बनाई गई है।
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इसलिए कहते हैं नौ रत्न टीला
रुद्रयामल ग्रंथ के अनुसार, पहले कुबेर टीले पर मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, कुबेर सहित कुल नौ देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित थी इसलिए इसे 'नौ रत्न कुबेर टीला’ भी कहते थे।
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कभी यहां लगता था मेला
कुबेर टीले पर कुबेरेश्वर महादेव का जो मंदि हैं, पहले यहां महाशिवरात्रि पर मेला लगता था और शिव बारात भी निकाली जाती थी। 2005 में आतंकवादी हमले के बाद ये परंपरा बंद हो गई।
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खुदाई में मिली मूर्तियां
जीर्णोद्धार करते समय पर जब कुबेर टीले की खुदाई की गई तो यहां जटायु, तलवार गणेशजी एवं बाल हनुमान की प्रतिमा भी मिली है। इन मूर्तियों को संग्रहालय में रखा गया है।