इन दिनों चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है। इन पर्व के दौरान कुछ स्थानों पर देवी को पशु बलि दी जाती है, वही कुछ मंदिरों में सात्विक बलि देने की परंपरा है। जानें क्या है सात्विक बलि…
सात्विक बलि में एक खास सब्जी का उपयोग होता है, जिसे काटकर देवी को चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इस बलि से भी देवी मां प्रसन्न होती हैं और हर कामना पूरी करती हैं।
अनेक मंदिरों में सात्विक बलि के रूप में देवी को कद्दू जिसे कोहढ़ा भी कहते हैं, चढ़ाया जाता है। देवी को बलि रूप में चढ़ाने वाला कद्दू पीला न होकर भूरे रंग का होता है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान जिन मंदिरों में पशु बलि देने की मनाही होती है, वहां देवी को कद्दू की बलि देने की परंपरा है। कद्दू की बलि पशु बलि के समान ही फल देने वाली मानी गई है।
मान्यताओं के अनुसार, बलि देने का कार्य पुरुष ही कर सकते हैं, महिलाएं नहीं। इसलिए कद्दू कभी भी महिलाएं नहीं काटती, क्योंकि ऐसा करना बलि देने जैसा माना गया है।
देवी पुराण के पुराण नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। देवी कूष्मांडा को कद्दू की बलि देने से हर परेशानी दूर हो सकती है, ऐसी मान्यता है।