वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमें वे माता के गर्भ में पल रहे बच्चे के बारे में लोगों को बता रहे हैं। आगे जानें क्या है उस वीडियो में…
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘गर्भ में पल रहे बच्चे में जीव तो शुरू से ही होता है, लेकिन पांचवें महीने में उसकी चेतना जाग्रत हो जाती है यानी उसमें सोचने-समझने की क्षमता आ जाती है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘पांचवे महीने में गर्भ में पल रहे शिशु को भूख-प्यास लगती है। गर्भ में उसे जलन और पीड़ा का अनुभव भी होता है। यहां शिशु को छोट-छोटे कीड़े काटते हैं।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘छठे महीने में शिशु कीड़े की तरह तड़पता है। उस समय माता को कड़वे और खट्टे खाने की इच्छा होती है, जिससे शिशु के अंगों में भंयकर जलन होती है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘गर्भ के अंदर शिशु तड़पने से गर्भ में हलचल होती है, जिससे माता को खुशी होती है क्योंकि उसे लगता है कि गर्भ में बच्चा उछल-कूद कर रहा है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘माता के खाए-हुए गर्म, कड़वे, मीठे, नमकीन, खट्टी चीजों का अनुभव गर्भस्थ शिशु को होता है और माता को इस समय यही सब खाने की इच्छा होती है।’
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, ‘ऐसा इसलिए होता है क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु को माता के गर्भ में रहते हुए भी भोग भोगना है, वहां भी उसकी दुर्गति हो रही होती है।’