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इंसान और जानवरों में कौन-सी 4 आदतें एक जैसी होती हैं?

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ये 4 आदतें है इंसान और जानवरों में एक जैसी

आचार्य चाणक्य भारत के महान विद्वान थे। उन्होंने अपने एक श्लोक में 4 ऐसी आदतों के बारे में बताया है जो मनुष्य और जानवरों में एक जैसी होती है। जानें कौन-सी हैं वो 4 आदतें…

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चाणक्य नीति का श्लोक

आहारनिद्राभयमैथुनं च सामान्यमेतत् पशुभिर्नराणाम्।
धर्मो हि तेषामधिको विशेषो धर्मेण हीना: पशुभि: समाना।।

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चाणक्य नीति का अर्थ

भोजन करना, सोना, भयभीत होना और मैथुन (संभोग) करना, ये 4 बातें मनुष्य और पशु में एक समान है। धर्म ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है। जिस व्यक्ति में धर्म न हो, वह पशु के समान होता है।

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भोजन करने में समानता

मनुष्य और पशु दोनों ही बिना भोजन के जीवित नहीं रह सकते। दोनों ही अपनी आवश्यकता के अनुसार भोजन का प्रंबंध कर ही लेते हैं। ये आदत दोनों में एक जैसी होती है।

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सोना यानी नींद लेना

मनुष्य और जानवरों के लिए सोना बहुत जरूरी है। सोने से दोनों के शरीर को आराम मिलता है और वे पुन: अपने शरीर को स्वस्थ महसूस करते हैं। दोनों बिना सोए नहीं रह सकते।

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दोनों होते हैं भयभीत

मनुष्य और जानवर दोनों ही भयभीत रहते हैं। मनुष्यों को अपने और अपने परिवार की चिंता सताती रहती है वहीं पशु हर समय अपने भोजन और शत्रुओं के बारे में सोचकर डरते रहते हैं।

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दोनों के लिए संभोग जरूरी

इंसान और जानवरों में संभोग की आदत भी एक जैसी होती है। इसके पीछे का उद्देश्य काम वासना शांत करना और संतान उत्पन्न करना है। मनुष्यों के लिए काम 4 पुरुषार्थों में से एक माना गया है।

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ये गुण बनाता है मनुष्यों को श्रेष्ठ?

आचार्य चाणक्य के अनुसार इंसानों को जो गुण जानवरों से श्रेष्ठ बनाता है वो है धर्म। सिर्फ मनुष्य ही धर्म के बारे में जान और समझ सकता है और उसी अनुसार जीवन व्यतीत कर सकता है।

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