आचार्य चाणक्य के अनुसार 3 काम ऐसे हैं जिनको करने में कभी भी शर्म नहीं करनी चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे नुकसान ही उठाना पड़ता है। जानें कौन-से हैं वे 3 काम…
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत॥
अर्थ- धन के मामलों में, विद्या प्राप्त करने में और भोजन करने में शर्म को त्यागने वाला ही सुखी रहता है l
जो भी व्यक्ति पैसों के मामले में शर्म करता है, उसे नुकसान ही होता है। यदि आपने किसी को पैसा उधार दिया है तो नि:संकोच होकर उससे अपना पैसा वापस मांग लें, यही नीति है।
कुछ लोग स्वभाववश रिश्तेदारों या मित्रों के यहां भोजन करते समय शर्म करते हैं, इसलिए वे पेटभर खाना नहीं खा पाते और भूखे ही रह जाते हैं। इसलिए खाना खाने में कभी शर्म न करें।
अच्छा और सफल विद्यार्थी वही है जो बिना शर्म किए अपने गुरु से सभी जिज्ञासाओं का उत्तर प्राप्त करता है। शिक्षा प्राप्त करने में जो विद्यार्थी शर्म करता है, वह अज्ञानी रह जाता है।