इस बार गीता जयंती का पर्व 1 दिसंबर, सोमवार को है। इस दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने और इसकी पूजा करने का विशेष महत्व है। गीता को हिंदू धर्म में परम पवित्र माना गया है।
गीता का पूरा नाम श्रीमद्भागवत गीता हैं। इससे मिलता-जुलता एक और ग्रंथ भी है जिसे श्रीमद्भागवत महापुराण कहते हैं। बहुत से लोग इन दोनों ग्रंथों को एक ही समझ लेते हैं।
हिंदू धर्म के जो प्रमुख 18 पुराण हैं, उनमें श्रीमद्भागवत महापुराण भी एक है। इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन का संपूर्ण वर्णन मिलता है। इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, श्रीमद्भागवत पुराण को सबसे पहले महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव ने राजा परीक्षित को सुनाया था। इसे सुनने के बाद ही परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।5
श्रीमद्भागवत महापुराण के श्लोंकों की संख्या 18 हजार है। इसमें 12 स्कंध यानी भाग हैं, जिनमें भगवान विष्णु के सभी अवतारों की कथा और श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र का वर्णन है।
‘श्रीमद्भागवत गीता’ ‘श्रीमद्भागवत महापुराण’ एक-दूसरे से अलग है। श्रीमद्भागवत गीता महाभारत का एक छोटा सा अंश है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसका जयंती मनाई जाती है।
जब कौरवों और पांडवों में युद्ध होने वाला था, तब अर्जुन को विषाद हो गया था। उस समय श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म करने के लिए उपदेश दिया था। यही उपदेश गीता कहलाया।
श्रीमद्भागवत गीता में कुल 700 श्लोक हैं। ये ग्रंथ भी 18 अध्याय में बंटा हुआ है। गीता को कईं प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में पढ़ाया भी जाता है। इसमें हर परेशानी का हल छिपा है।