होली हिंदुओं का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस बार ये पर्व 25 मार्च, सोमवार को मनाया जाएगा। अनेक धर्म ग्रंथों में भी होली का वर्णन मिलता है, जानें क्या लिखा है होली के बारे में…
भगवान शिव पर आधारित लिंग पुराण में भी होली का विस्तृत वर्णन है। इसमें होली को फाल्गुनिका कहा गया है, जिसका अर्थ है फाल्गुन पूर्णिमा पर मनाया जाने वाला रंगों का त्योहार।
श्रीमद्भागवत में होली का वर्णन है। बरसाना और बज्र की होली तो विश्व प्रसिद्ध है। श्रीमद्भागवत में होली को फाल्गुनोत्सव कहा गया है क्योंकि ये पर्व फाल्गुन पूर्णिमा पर मनाया जाता है।
वराण पुराण में लिखा है ‘फाल्गुने पौर्णिमास्यां तु पटवास विलासिनी’, यानी फाल्गुन पूर्णिमा पर रंगों से खेला जाने वाला पर्व है पटवास विलासिनी। होली का विस्तृत वर्णन इस ग्रंथ में है।
नारद पुराण के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा पर मंत्र पढ़ते हुए अग्नि में आहुति देनी चाहिए ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और होलिका पूजन का शुभ फल भी प्राप्त होता है।
भविष्य पुराण में भगवानश्रीकृष्ण युधिष्ठिर से कहते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन कर सभी लोगों को उल्लास पूवर्क ये पर्व मनाना चाहिए। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है।