19 सितंबर को गणेश चतुर्थी है। इस दिन बाप्पा की पूजा में कईं चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन तुलसी के पत्ते नहीं। इसके पीछे एक खास कारण छिपा है। आगे जानिए इसके पीछे का कारण…
गणेश पुराण के अनुसार, एक बार श्रीगणेश वन में तपस्या कर रहे थे, तभी वहां से देवी तुलसी के निकलना हुआ। श्रीगणेश के आकर्षक रूप को देखकर तुलसी उन पर मोहित हो गईं।
तुलसी ने श्रीगणेश के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, और कहा कि ‘आप मेरे स्वामी हो जाईए।’ उस समय श्रीगणेश तपस्या में लीन थे, इसलिए उन्होंने तुलसी से विवाह करने से इंकार कर दिया
श्रीगणेश द्वारा विवाह से इंकार करने पर तुलसी क्रोधित हो गई और उन्होंने विघ्नहर्ता को श्राप दिया कि ‘आज तुम विवाह नहीं करना चाहते, लेकिन भविष्य में तुम्हें विवाह जरूर करना पड़ेगा।’
तुलसी द्वारा श्राप देने पर श्रीगणेश भी क्रोधित हो गए और उन्होंने भी तुलसी को वृक्ष बन जाने का श्राप दे दिया। बाद में तुलसी और श्रीगणेश को अपनी भूल पर पछतावा भी हुआ।
तुलसी द्वारा श्राप देने के कारण ही श्रीगणेश की पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। कहा जाता है कि श्रीगणेश की पूजा में तुलसी चढ़ाने से महापाप लगता है। ऐसा भूल से भी न करें।