गजानन को बुद्धि का देवता कहा जाता है। वे हर काम को बहुत सोच-विचार के करते हैं। इस वजह से उन्हें प्रथम पूज्य होने का सम्मान मिला।
मां पार्वती की आज्ञा पर लंबोदर उस जगह पर अड़े रहे जहां उन्हें अंदर किसी की भी एंट्री नहीं देने के लिए नियुक्त किया गया था। इसी वजह से भगवान शंकर ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था।
भगवान गणेश का सिर उनके पिता शिव-शंभु ने ही काट दिया था। वहीं चंद्रमा ने उनकी कद-काठी पर उपहास उड़ाया था। लेकिन विनायक ने दोनों को माफ कर दिया।
गणेश जी के मित्र मूसक माने जाते हैं। विनायक मानते हैं कि मूसक भले ही छोटे हैं लेकिन इससे उनकी इंपोर्टेस कम नहीं हो जाती है। वे वो हर काम करते हैं जो दूसरे प्राणी करते हैं।
महाभारत ग्रंथ वेद व्यास की रचना थी, जिसे भगवान गणेश ने लिपिबध्द किया था। इसके लिए उन्होंने अपने टूटे दांत का इस्तेमाल किया था। वे हर उपयोगी सामान का सदुपयोग करना सिखाते हैं।
सीख- लंबोदर हमेशा रिश्तों को सम्मान देने वाले हैं। वे अपने भाई और बहन पर आए संकट से निपटने का दायित्व भी बखूबी निभाते हैं।
मौजूदा दौर में लोग खाते-खाते कई काम निपटाते हैं, या यूं कहें तो हमलोग भोजन को ठीक से चबाते ही नहीं हैं, वहीं लंबोदर भोजन के प्रति पूरी तरह सचेत रहना सिखाते हैं।
गणेश जी बड़े सहनशील हैं, और किसी भी हालातों का सामना शांति और धैर्य के साथ करते हैं। उनका बढ़ा हुआ पेट भी उनके इस गुण को प्रदर्शित करता है।