‘भगवान कालभैरव को शराब का भोग क्यों लगाते हैं?’ ये सवाल बाबा बागेश्वर यानी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से एक भक्त ने पूछा। जानें बाबा ने इस सवाल का क्या उत्तर दिया…
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘धर्म ग्रंथों में 8 तरह के भैरव बताए गए हैं। इनमें 8 से कोई सात्विक प्रवृत्ति का है तो कोई तामसिक प्रवृत्ति का। भगवान कालभैरव की प्रवृत्ति तामसिक है।’
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘हिंदू धर्म में मदिरा यानी शराब को तामसिक माना गया है, इसलिए कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें तामसिक भोग यानी शराब चढ़ाई जाती है।
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘कालभैरव बुरी शक्तियों और आत्माओं को वश में रखते हैं। ऐसी शक्तियों से बचने के लिए भक्त लोग भगवान कालभैरव को शराब का भोग लगाते हैं।’
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘कालभैरव से जुड़ी कईं कथाएं प्रचलित है, उसमें बताया गया है कि कालभैरव तंत्र साधक थे, तब देवी ने उनका वध किया तो भी उनका मस्तक जीवित रहा।’
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘जो साधनाएं कालभैरव ने की थी, वे उन्हें परेशान करने लगी और कहने लगी कि-तुम हमें मांस-मदिरा का भोग लगाओ, नहीं तो हम तुम्हें खा जाएंगी।’
बाबा बागेश्वर के अनुसार, ‘उन तंत्र विद्याओं को शांत करने के लिए कालभैरव ने भक्तों से कहा कि मेरी पूजा में मदिरा का भोग लगाया जाए। इसलिए कालभैरव को शराब का भोग लगाते हैं।’