वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज इन दिनों काफी चर्चित हैं। बहुत कम लोग उनके जीवन से जुड़े रहस्यों के बारे में जानते हैं। आगे जानिए प्रेमानंद महाराज से जुड़ी 7 अनसुनी बातें…
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पाण्डे है। इनका जन्म कानपुर जनपद के नरवल तहसील के अखरी गांव में हुआ था।
प्रेमानंद महाराज के पिता का नाम शंभू नारायण पाण्डे है। उनके 3 बेटों में प्रेमानंद बाबा मंझिले है। यानी बाबा के एक बड़े और एक छोटे भाई हैं। बड़े भाई का नाम गणेश दत्त पाण्डे है।
नरवल के जूनियर हाई स्कूल से प्रेमानंद महाराज ने कक्षा 8वीं कक्षा पास की और इसके बाद भास्करानंद विद्यालय में दाखिला लिया। इस विद्यालय में बाबा ने सिर्फ 4-5 महीने ही पढ़ाई की।
13 वर्ष की उम्र में प्रेमानंद बाबा घर से भागे थे। घर वालों ने जब खोजबीन को पता चला कि वे सरसौल स्थित नन्देश्वर मन्दिर में रुके हुए हैं। परिजनों के समझाने पर भी वे घर नहीं लौटे।
सरसौल से बाद प्रेमानंद महाराज महाराजपुर के सैमसी स्थित एक मन्दिर में कुछ समय तक रुके। यहां से जाने के बाद वे कानपुर के बिठूर में रहे। बिठूर के बाद वे काशी विश्वनाथ चले गए।
काशी विश्वनाथ काफी समय रहने के बाद प्रेमानंद महाराज वृंदावन आ गए और यहां दीक्षा लेकर राधारानी की भक्ति में रम गए। आज हजारों लोग इनकी सेवा में दिन-रात लगे रहते हैं।
प्रेमानंद महाराज अपने परिवार में पहले संत नहीं है। उनके परिवार में हर पीढ़ी में कोई न कोई एक बड़ा साधु-सन्त होकर निकलता है। ये परंपरा काफी समय से चली आ रही है।