हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए कईं व्रतों का नियम बनाया गया है, इन्हीं में से एक व्रत है ऋषि पंचमी। ये व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को किया जाता है।
इस बार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 07 सितंबर, शनिवार की शाम 05 बजकर 37 मिनिट से शुरू होगी, जो 08 सितंबर की शाम 07 बजकर 58 मिनिट तक रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि का सूर्योदय 8 सितंबर, रविवार को होगा, इसलिए इसी दिन ऋषि पंचमी का व्रत किया जाएगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, महिलाओं से मासिक धर्म के दौरान जाने-अनजाने में कईं पाप या गलत काम हो जाते हैं, इन्हीं पापों से मुक्ति पाने के लिए ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है।
ऋषि पंचमी व्रत में महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं। ये सप्त ऋषि हैं- वशिष्ठ, कश्यप, अत्रि, जमदग्नि, गौतम, विश्वामित्र, भारद्वाज शामिल हैं। ये ब्रह्मा के मानस पुत्र कहलाते हैं।
ऋषि पंचमी व्रत में महिलाएं सुबह अपामार्ग (एक वनस्पति) को सिर पर रखकर स्नान करती हैं। इस दिन महिलाएं अनाज-फल नहीं खाती, इसलिए जमीन के नीचे उगने वाला मोरधन खाती हैं।