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‘श्रीमद्भागवत पुराण’ और ‘श्रीमद्भागवत गीता’ में क्या अंतर है?

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गीता जयंती 22 दिसंबर को

हर साल अगहन शुक्ल एकादशी पर गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 22 दिसंबर, शुक्रवार को है। इसी तिथि पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

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गीता का एक नाम श्रीमद्भागवत भी

गीता को श्रीमद्भागवत गीता भी कहते हैं। बहुत से लोग श्रीमद्भागवत गीता को ही श्रीमद्भागवत महापुराण समझ लेते हैं, जबकि ये दोनों ग्रंथ अलग-अलग हैं। आगे जानें दोनों में अंतर…

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18 पुराणों में से श्रीमद्भागवत महापुराण

श्रीमद्भागवत महापुराण हिंदू धर्म के प्रमुख 18 पुराणों में से एक है। इस ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन का संपूर्ण वर्णन मिलता है। इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं।

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महर्षि शुकदेव ने सुनाई थी राजा परीक्षित को

श्रीमद्भागवत पुराण को सबसे पहले महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव ने राजा परीक्षित को सुनाया था। श्रीमद्भागवत पुराण की कथा सुनने के बाद ही उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

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12 स्कंध और 18 हजार श्लोक

श्रीमद्भागवत महापुराण के 12 स्कंधों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र का वर्णन है। इसके श्लोकों की कुल संख्या 18 हजार है। ये वैष्णवों का सबसे प्रमुख ग्रंथ है।

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श्रीमद्भागवत गीता की जयंती

‘श्रीमद्भागवत गीता’ ‘श्रीमद्भागवत महापुराण’ से अलग है। श्रीमद्भागवत गीता महाभारत का एक छोटा सा अंश है। ये एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसका जयंती हर साल मनाई जाती है।

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18 अध्याय और 700 श्लोक

श्रीमद्भागवत गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। गीता को महाभारत रूपी समुद्र से निकला हुआ मोती भी कहा जाता है। गीता को कईं प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट में पढ़ाया भी जाता है।

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श्रीकृष्ण ने दिया था उपदेश

कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब अर्जुन ने हथियार छोड़ दिए थे तब श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्म करने का उपदेश दिया था। यही उपदेश गीता कहलाया। गीता में लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े टिप्स बताए गए हैं।

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