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ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हुई पूजा, जानें कौन थे ‘महर्षि व्यास’?

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ज्ञानवापी में हुई पूजा

काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित ज्ञानवापी में 31 जनवरी, बुधवार की रात पुलिस-प्रशासन की देख-रेख में व्यासजी तहखाना खोला गया और विधि-विधान से पूजा की गई।

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31 साल से नहीं हुई थी पूजा

शैलेंद्र कुमार व्यास ने कोर्ट में अपील की थी कि 31 साल पहले इस तहखाने में व्यास परिवार पूजा करता था। तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने इस बात को सही माना और अपना फैसला सुनाया।

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व्यास परिवार करता था पूजा

ज्ञानवापी स्थित तहखाने का नाम व्यास तहखाना है क्योंकि सालों से यहां व्यास परिवार पूजा करता आ रहा था, लेकिन सबसे पहले व्यास किसे कहा गया, ये बात कम ही लोग जानते हैं।

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कौन हैं महर्षि वेदव्यास?

धर्म ग्रंथों में महर्षि वेदव्यास का वर्णन मिलता है, जो विष्णु के अवतार माने गए हैं और अष्ट चिरंजीवियों में से एक हैं यानी वे आज भी जीवित हैं। इन्होंने महाभारत ग्रंथ की रचना की।

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गुरु पूर्णिमा पर मनाते हैं जन्मदिवस

महर्षि व्यास को वेदों का विभाग करने के कारण ही वेदव्यास कहा गया। हर साल गुरु पूर्णिमा पर इनका ही जन्मदिवस मनाया जाता है। इनके पिता महर्षि पाराशर और माता सत्यवती थीं।

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ये था असली नाम

पैदा होने पर महर्षि वेदव्यास का स्वरूप अत्यंत काला था, इसलिए उनका नाम कृष्ण रखा गया और द्वैपायन द्वीप में तपस्या करने के कारण उनका नाम श्रीकृष्ण द्वैपायन व्यास पड़ा।

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पूरी महाभारत आंखों से देखी

महर्षि वेदव्यास महाभारत के एकमात्र ऐसे पात्र थे, जो शुरू से अंत तक इसमें बने रहे। उन्होंने धृतराष्ट्र-पांडु के जन्म से लेकर पांडवों की स्वर्ग यात्रा तक सब कुछ अपनी आंखों से देखा।

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