12 अप्रैल, शनिवार को हनुमान जयंती है। इस दिन सुंदरकांड का पाठ जरूर किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड ही क्यों है? आगे जाने इसका जवाब…
गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा लिखी गई श्रीरामचरित मानस में 7 कांड यानी अध्याय हैं- बालकांड, अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंका कांड और उत्तरकांड।
इन 7 कांडों में 6 के नाम तो उनके स्थान या स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं, जैसे बालकांड में भगवान श्रीराम के बचपन का वर्णन है और अयोध्या कांड में वहां हुई घटनाओं का।
रामचरित मानस के पांचवें अध्याय का नाम सुंदरकांड है। इस अध्याय में हनुमानजी के बल-पराक्रम के वर्णन है। बहुत कम लोगों को पता है कि सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया है।
सुंदरकांड की सबसे प्रमुख घटना है हनुमानजी द्वारा देवी सीता की खोज करना और उनको भगवान श्रीराम का संदेश देना। ये घटना अशोक वाटिका में हुई थी, ये बात तो सभी जानते हैं।
अशोक वाटिका जिस पर्वत पर स्थिति थी, उसका नाम पर्वत का नाम सुंदर था। चूंकि सुंदरकांड की सबसे प्रमुख घटना सुंदर पर्वत पर हुई, इसलिए इस कांड का नाम सुंदरकांड रखा गया।