आपने अपने बुजुर्गों को कभी न कभी ये बोलते हुए जरूर सुना होगा कि शाम के समय भूलकर भी घर की दहलीज यानी चौखट पर नहीं बैठना चाहिए। ऐसा करना अपशकुन होता है।
बुजुर्गों द्वारा कही जाने वाली ये बात सुनने में भले ही आपको अटपटी लगे, लेकिन इसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है, जिसके बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी है।
हमारे विद्वानों के अनुसार, संध्या काल यानी शाम के समय देवी लक्ष्मी का आगमन घरों में होता है। इसलिए शाम होने से पहले ही घर की साफ-सफाई और झाड़ू आदि काम कर लिए जाते हैं।
ऐसी स्थिति में जब देवी लक्ष्मी के आने का समय हो यानी संध्या काल और घर-परिवार का कोई सदस्य घर की दहलीज पर रास्ता रोककर बैठा हो तो ये परिस्थिति ठीक नहीं होती।
विद्वानों के अनुसार देवी लक्ष्मी ऐसे घर में कभी प्रवेश नहीं करती, जहां कोई व्यक्ति दहलीज पर रास्ता रोककर बैठा हो। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि शाम को दहलीज पर नहीं बैठना चाहिए।
देवी लक्ष्मी के घर में न आने ले गरीबी बढ़ेगी और घर की सुख-समृद्धि भी नष्ट होगी। इसी सोच के चलते हमारे विद्वानों ने इस तरह की परंपराएं बनाई ताकि आमजन इसे समझ सकें।