हिंदू धर्म में बच्चों को शुरू से ही अच्छे संस्कार दिए जाते हैं। इन्हीं संस्कारों के दौरान सिखाया जाता है कि अगर कोई व्यक्ति जमीन पर या और कहीं लेटा हो तो उसे लांघना नहीं चाहिए।
लेटे हुए व्यक्ति को लांघना क्यों नहीं चाहिए, इसके पीछे गहरा मनोविज्ञान और धर्म छिपा है। इसका कारण महाभारत में हनुमानजी और भीम के एक प्रसंग से भी जुड़ा हुआ है।
महाभारत के अनुसार, एक बार भीम कहीं जा रहे थे तो हनुमानजी वानर रूप में पूंछ फैलाकर लेटे थे। भीम ने हनुमानजी ने पूंछ हटाने को कहो तो उन्हें इसमें असमर्थता व्यक्त की।
हनुमानजी ने अपनी पूंछ तो नहीं हटाई और भीम से कहा कि ‘तुम पूंछ को लांघकर यहां से आगे चले जाओ।’ लेकिन भीम ने ऐसा करने से इंकार कर दिया और धर्म से जुड़ी एक गहरी बात कही।
भीम ने हनुमानजी से कहा कि ‘हर प्राणी में ईश्वर का तत्व है, ऐसे में किसी प्राणी को लांघना उस ईश्वर का अपमान करने जैसा है। इसलिए मैं आपको लांघकर आगे नहीं जा सकता।’
भीम द्वारा कही गई ये बात ही हमारे प्रश्न का उत्तर है कि ‘क्यों किसी लेटे हुए व्यक्ति को लांघना नहीं चाहिए।’ सोचने में ये बात भले ही छोटी है लेकिन इसके पीछे गहरा मनोविज्ञान छिपा है।