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Hindu Beliefs: ब्राह्मण कौन-सी दाल को मानते हैं नॉनवेज?

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ब्राह्मण कौन-सी दाल नहीं खाते?

ब्राह्मण वैसे तो सभी तरह की दालें खा लेते हैं लेकिन मसूर की दाल नहीं खाते। इसके पीछे कारण है कि वे इसे नॉनवेज यानी मांसाहार के समान मानते हैं। जानें इस मान्यता से जुड़ी रोचक बातें…

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खून से पैदा हुई है मसूर

मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु ने जब स्वरभानु दैत्य का मस्तक काटा तो उसका रक्त जहां गिरा, वहां से मसूर उत्पन्न हुई। इसलिए पूरा ब्राह्मण समाज मसूर को नॉनवेज मानता है।

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मसूर की दाल बढ़ाती है क्रोध

ऐसा भी मानते हैं कि मसूर की दाल खाने से मन में उग्रता व क्रोध का भाव आता है। ब्राह्मणों के मन में इस तरह के भाव नहीं आना चाहिए इसलिए साधु-संत व ब्राह्मण मसूर हीं खाते।

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काम शक्ति बढ़ाती है मसूर

कहते हैं कि मसूर की दाल काम शक्ति की बढ़ाती है। ये स्थिति भी ब्राह्मणों के लिए ठीक नहीं मानी गई है। इसलिए प्राचीन समय से ही विद्वानों ने मसूर की दाल खाने पर पाबंदी लगाई है।

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तामसिक पूजा में होता है उपयोग

मसूर की दाल का उपयोग तंत्र-मंत्र में भी किया जाता है। इसलिए भी ब्राह्मण व साधु-संत इसे खाने से परहेज करते हैं क्योंकि इसके सेवन में मन-मस्तिष्क में दूषित भाव आने लगते हैं।

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