हिंदू धर्म में हर काम के लिए एक मंत्र बनाया गया है, जैसे स्नान मंत्र, भोजन मंत्र आदि। इसी तरह खाना खाने के बाद के लिए भी एक विशेष मंत्र है, जिसे बोलने से खाना जल्दी पच जाता है।
अगस्त्यं कुम्भकर्णं च शनिं च वडवानलम् ।
आहारपरिपाकार्थं स्मरेद् भीमं च पञ्चमम् ।।
भोजन करने के बाद ऋषि अगस्त्य, कुंभकर्ण, शनिदेव, वड़वानल और भीम का नाम लेने से भोजन ठीक से पच जाता है और शरीर का पोषण भी होता है।
वाल्मीकि रामायण में ऋषि अगस्त्य का वर्णन मिलता है। ये सप्तऋषियों में से एक थे। देवताओं की सहायता करने के लिए एक बार ऋषि अगस्त्य ने समुद्र का पूरा पानी पी लिया था।
वाल्मीकि रामायण में ही रावण के भाई कुंभकर्ण का वर्णन मिलता है। कुंभकर्ण का शरीर बहुत बड़ा था, इसलिए वह ज्यादा भोजन करता था और उसे आसानी से पचा भी लेता था।
भोजन के बाद बोले जाने मंत्र में शनिदेव का नाम भी है क्योंकि अपने सामने आने वाली हर वस्तु को भस्म कर देते है। अभिप्राय ये है कि जो भी हमने खाया है वह भी पेट में भस्म हो जाए।
वड़वानल या दावानल का अर्थ होता है जंगल की आग। जिसमें सबकुछ जलकर राख हो जाता है। खाना खाने के बाद ये मंत्र बोलने से भोजन भी पेट में पूरी तरह से पच जाता है।
महाभारत में भीम का वर्णन मिलता है। वे बहुत अधिक खाते थे और आसानी से पचा भी लेते थे। इसलिए उनका नाम इस मंत्र में शामिल किया गया है ताकि हमारा भोजन भी आसानी से पच जाए।