जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तो पंजाब और इसके आस-पास के इलाकों में बैसाखी मनाई जाती है। ये सिक्खों का प्रमुख त्योहार है। इस बार बैसाखी पर्व 13 अप्रैल, शनिवार को है।
साल 1699 में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह ने बैसाखी के दिन खालसा पंथ की नींव रखी थी और इनके लिए पंच ककार अनिवार्य किए थे। पंच ककार को सिक्ख धर्म की मर्यादा कहते हैं।
गुरु गोविंद सिंह ने सिक्खों के लिए 5 चीजें अनिवार्य की थी, इन्हें ही पंच ककार कहा जाता है, ये 5 चीजें हैं- केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा। केश यानी बाल और कृपाण यानी कटार।
केश यानी बाल सिक्ख धर्म की पहचान हैं, सिक्ख धर्म गुरुओं ने भी कभी अपने बाल नहीं कटवाए। ये सिक्खों के लिए पहला नियम भी है। बाल सिक्खों की आध्यात्मिक छवि को दर्शाते हैं।
सिक्ख धर्म में कंघा रखना भी अनिवार्य है क्योंकि कंघे के बाल संवारना बड़ा मुश्किल है। इसलिए हर सिक्ख को इसे अपने साथ रखना पड़ता है। सिक्खों के बाल हर स्थिति में व्यवस्थित होना चाहिए।
सिक्खों के लिए हाथ में कड़ा पहनना भी बहुत जरूरी है। ये कड़ा सिक्खों को हमेशा अपने नियम और धर्म के जुड़ी मर्यादा की याद दिलाता है। ये कड़ा किसी भी धातु का हो सकता है।
कच्छा यानी अंडर वियर भी सिक्खों के लिए जरूरी है। ये चुस्ती-स्फूर्ति का प्रतीक माना गया है साथ ही मन पर नियंत्रण रखने की याद दिलाता है। इसे पहनना सभी सिक्खों के लिए जरूरी है।
कृपाण से अर्थ है कटार, ये आपको हर सिक्ख व्यक्ति के पास अनिवार्य रूप से मिल जाएगी। ये आत्म रक्षा के लिए जरूरी मानी गई है। सिक्ख योद्धा के रूप में इसे हमेशा अपने साथ रखते हैं।