वृंदावन का रंगनाथ मंदिर काफी खास है। ये मंदिर दक्षिण शैली में बना है और यहां दक्षिण भारत से जुड़ी धार्मिक परंपराओं से ही पूजा की जाती है। आगे जानें इस मंदिर से जुड़ी खास परंपरा…
वैसे तो वृंदावन का रंगनाथ मंदिर पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहता है, लेकिन इस मंदिर का वैकुंठ द्वार साल में सिर्फ एक बार वैकुंठ एकादशी पर खुलता है। इसे मोक्षदा एकादशी भी कहते हैं।
रंगनाथ मंदिर में दक्षिण भारत परंपरा के अनुसार 21 दिनों तक वैकुंठ उत्सव मनाया जाता है। उत्सव के दौरान 11 वें दिन वैकुंठ द्वार खोला जाता है, जिसे देखने भारी संख्या में भक्त आते हैं।
इस बार 23 दिसंबर, शनिवार को मोक्षदा एकादशी पर रंगनाथ मंदिर का वैकुंठ द्वार खोला जाएगा। सबसे पहले वैदिक मंत्रोच्चार किया जाएगा व अन्य परंपराएं भी निभाई जाएंगीं।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर वैकुंठ द्वार से निकाला जाएगा। इनके साथ अन्य भक्त भी इस द्वार से होकर निकलेंगे। इस परंपरा में अनेक भक्त शामिल होते हैं।
मान्यता है कि संत आलवर ने भगवान विष्णु से जीवात्मा के वैकुंठ जाने का रास्ता पूछा था, तब भगवान ने उन्हें इसके बारे में बताया था। तभी से वैकुंठ एकादशी पर ये परंपरा निभाई जा रही है।