श्रीमद्भागवत में भगवान कृष्ण ने 6 ऐसे लोगों के बारे में बताया है, जिनके बारे में बुरा नहीं सोचना चाहिए। ऐसा करने से उनका विनाश हो सकता है। आगे जानें कौन हैं ये 6 लोग…
यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।
अर्थ- जो देवता, वेद, गौ, ब्रह्माण, साधु और धर्म के बारे में बुरा सोचता है, वह नष्ट हो जाता है।
कुछ लोग नास्तिक प्रवृत्ति के होते हैं और भगवान के बारे में हमेशा बुरा ही बोलते हैं। श्रीमद्भागवत के अनुसार, ऐसे लोग जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए।
वेदों को दुनिया का सबसे पुराने ग्रंथ कहा जाता है। वेदों ने न सिर्फ सनातम धर्म के बारे में बताया गया है बल्कि विज्ञान से जुड़े कईं रहस्य भी इस ग्रंथ में मिलते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, गाय में सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए ये सदैव पूजनीय मानी गई हैं। गाय हर तरह से मनुष्यों का कल्याण ही करती हैं, इसलिए इसे हमेशा सम्मान देना चाहिए।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ब्राह्मणों की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से हुई है, इसलिए ये सम्मान करने योग्य हैं। भूलकर भी कभी इनका अपमान नहीं करना चाहिए।
बहुत से लोग जिन्हें धर्म का ज्ञान नहीं है, वे इसके बारे में अनर्गल बाते करते हैं। धर्म की परिभाषा काफी विस्तृत है। इसलिए बिना सोचे-समझे धर्म पर टिप्पणी नहीं करना चाहिए।
कभी भी किसी साधु को भला-बुरा या अपशब्द नहीं कहना चाहिए। यदि संभव हो तो उनकी मदद ही करना चाहि या उन्हें जो जरूरत हो, वो चीज लाकर देनी चाहिए।