जन्माष्टमी के मौके पर हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे श्रीकृष्ण का खास संबंध रहा है। आज भी यहां श्रीकृष्ण की निशानियां मंदिर या अन्य रूपों में देखी जा सकती हैं...
श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। वहां एक विशेष स्थान को कृष्ण जन्मस्थान मानकर एक हॉल में ऊंचा चबूतरा बना है, मान्यता हैं इसी जगह कान्हा ने धरती पर पहला कदम रखा था।
नंदगाव में श्रीकृष्ण का बचपन बीता। यहां एक भव्य मंदिर है, यहीं पास में एक सरोवर है, जिसे पावन सरोवर कहते हैं। मान्यता है कि इसी सरोवर में माता यशोदा कान्हा को स्नान करवाती थीं।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता भद्रकाली का मंदिर हैं। मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था। यहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण के पद्चिन्ह मौजूद हैं।
ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण पढ़ने के लिए उज्जयिनी आए थे, जिसे आज उज्जैन कहा जाता है। यहां आज भी गुरु सांदीपनि का वो आश्रम स्थित है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं।
श्रीकृष्ण ने गुजरात के समुद्र तट पर एक नगर बसाया था, जिसे उन्होंने द्वारिका नाम दिया था। समुद्र के नीचे आज भी इसके होने के प्रमाण मिलते हैं। यहां श्रीकृष्ण का भव्य मंदिर भी है।
कुरुक्षेत्र में जहां श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, वहां आज भी वो स्थान है। वहां पर एक पीपल का पेड़ मौजूद है। इस स्थान को अब ज्योतिसर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।