इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी, सोमवार को मनाई जाएगी। इस पर्व पर तिल-गुड़ से बने व्यंजन जैसे लड्डू, गजक खाने की परंपरा है। इस परंपरा के पीछे धार्मिक नहीं वैज्ञानिक कारण है।
सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है, तब तिल-गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं, क्योंकि तिल में तेल की प्रचुरता रहती है और गुड़ की तासीर भी गर्म होती है।
तिल-गुड़ से बने व्यंजन सर्दी में हमारे शरीर को आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। ठंड से पाचन शक्ति भी मंद हो जाती है। तिल में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन शक्ति बढ़ाता है।
वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्व पाये जाते हैं, जो शीत ऋतु में शरीर के लिए जरूरी होते हैं।
गुड़ की बात करें तो इसमें भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम पाया जाता है। जो शीत ऋतु में शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक होता है। इसके अलावा गुड़ में और भी कईं पोषक तत्व पाए जाते हैं।
तिल-गुड़ की इन्हीं विशेषताओं के कारण हमारे पूर्वजों ने मकर संक्रांति पर्व पर इन दोनों से बने व्यंजन खाने की परंपरा शुरू की। यही परंपरा आज भी चली आ रही है।