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Annakoot 2023: क्यों मनाते हैं अन्नकूट, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

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कब है अन्नकूट (Annakoot 2023 Kab Hai)

इस बार अन्नकूट महोत्सव 14 नवंबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। ये त्योहार क्यों मनाते हैं। इसकी पीछे कई मान्यताएं हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

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श्रीकृष्ण ने शुरू की नई परंपरा

द्वापर युग में वृंदावन वासी इंद्र की पूजा करते थे। श्रीकृष्ण ने उनके स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा शुरू की। ये देख इंद्र ने क्रोध में आकर वहां मूसलाधार बारिश कर दी।

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इंद्र को हुआ गलती का अहसास

तब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर छाते जैसा तान दिया और सभी की रक्षा की। 7 दिन तक सभी इसी स्थिति में रहे। इंद्र को अपनी गलती का अहसास हुआ और श्रीकृष्ण से माफी मांगी।

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इसलिए चढ़ाते हैं 56 भोग?

7 दिन तक श्रीकृष्ण ने कुछ भी खाया नहीं। 7 दिन के बाद 8 पहर के हिसाब से (7*8=56) माता यशोदा और गांव वालों ने उनके लिए 56 प्रकार के अलग-अलग पकवान बनाए और उन्हें खिलाए।

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इसी का रूप है अन्नकूट

तभी से भगवान श्रीकृष्ण को गोवर्धन पूजा के मौके पर 56 भोग लगाने की की परंपरा चली आ रही है। इसी परंपरा ने अब अन्नकूट के बड़ा स्वरूप ले लिया है, जिसमें सामूहिक भोज भी होते हैं।

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एक कारण ये भी

भगवान विष्णु के अनेक आसन हैं, कमल भी उनमें से एक है। जिस कमल पर भगवान विष्णु बैठते हैं, उसकी पंखुड़ियों की संख्या 56 है। इसी लिए भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं।

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