इस बार 4 फरवरी, रविवार को भीष्म जयंती है। भीष्म पितामह से जुड़ी कईं ऐसी अनसुनी और अंजानी रोचक बातें है जो कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए भीष्म पितामह से जुड़ी ये बातें…
महाभारत के अनुसार भीष्म अपने पूर्व जन्म में द्यौ नामक वसु (देवता) थे, जिन्हें महर्षि वसिष्ठ ने धरती पर मनुष्य रूप में जन्म लेने और उम्र भर अविवाहित जीवन जीने का श्राप दिया था।
महाभारत के अनुसार, महात्मा भीष्म का असली नाम देवव्रत था। अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए जब देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की भीष्ण प्रतिज्ञा की तो इनका नाम भीष्म पड़ गया।
भीष्म के पिता शांतनु ने सत्यवती से विवाह किया, जिनसे उन्हें 2 पुत्र हुए। इनके नाम चित्रांगद और वीचित्रवीर्य था। ये दोनों भीष्म के भाई थे। धृतराष्ट्र-पांडु विचित्रवीर्य की संतान थे।
महाभारत के अनुसार, भीष्म को राजनीति की शिक्षा देवगुरु बृहस्पति ने दी थी, वहीं शस्त्रों का ज्ञान उन्हें स्वयं भगवान परशुराम ने दिया था। इसलिए ये दोनों ही भीष्म के गुरु थे।
महाभारत युद्ध के में कौरव सेना के पहले सेनापति भीष्म ही थे। 18 दिनों तक चले इस युद्ध में 10 दिनों तक भीष्म ने ही कौरव सेना की कमान संभाली। बाद में वे अर्जुन के हाथों घायल हो गए।
महाभारत के अनुसार, भीष्म 58 दिनों तक बाणों की शय्या पर रहे। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही उन्होंने अपने प्राणों का त्याग किया। भीष्म की मृत्यु तिथि भी माघ माह में ही आती है।
महाभारत के अनुसार, गांधारी के कहने पर महर्षि वेदव्यास ने एक रात के लिए महाभारत युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं को जीवित कर दिया था। भीष्म पितामह भी इनमें से एक थे।