हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली पर्व मनाया जाता है। ये पर्व क्यों मनाते हैं, इसे लेकर कईं मान्यताएं हैं। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है।
इस बार कार्तिक अमावस्या 12-13 नवंबर को रहेगी, लेकिन दीपावली 12 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी। इस दिन कईं शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है।
तंत्र शास्त्र में 4 प्रमुख रातों के बारे में बताया गया है जो तंत्र सिद्धि के लिए सबसे खास मानी गई है। इनमें दिवाली की रात भी एक है। तंत्र शास्त्र में इसे कालरात्रि कहा जाता है।
एक रिसर्च से पता चला है कि तंत्र क्रिया के नाम पर हर साल दिवाली की रात कईं उल्लुओं की बलि तांत्रिकों द्वारा दी जाती है। तांत्रिक पहले से ही इसके लिए तैयारी करके रखते हैं।
तंत्र विद्वानों के अनुसार दिवाली की रात जिस उल्लू की बलि दी जाती है, 45 दिन तक उसके सामने बैठकर तंत्र क्रियाएं की जाती है। यहां तक की उन्हें शराब भी पिलाई जाती है।
कहते हैं कि दिवाली की रात जब उल्लू की बलि दी जाती है तो उसे कोई आम व्यक्ति नहीं देख सकता। अगर ऐसा हो जाए तो उस व्यक्ति के साथ कुछ भी अनहोनी घटना हो सकती है।
मान्यता के अनुसार, दिवाली की रात उल्लू की बलि देने से कईं प्रकार की विशेष सिद्धियां प्राप्त हो सकती है। इसलिए तांत्रिकों को दिवाली की रात का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है।