भगवान शिव का अवतार हैं कालभैरव। हर साल अगहन मास में कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व नवंबर 2024 में मनाया जाएगा। जानें क्या है इसकी सही डेट…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर ही भगवान कालभैरव प्रकट हुए थे। इसलिए हर साल इसी तिथि पर कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
पंचांग के अनुसार, इस बार अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर, शुक्रवार की शाम 06:08 से शुरू होगी, जो 23 नवंबर, शनिवार की शाम 07:57 तक रहेगी।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, अगहन कृष्ण अष्टमी तिथि का सूर्योदय 23 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
जब ब्रह्मदेव स्वयं को सर्वशक्तिमान समझने लगे तब उनके अहंकार का नाश करने के लिए महादेव ने कालभैरव अवतार लिया और ब्रह्मदेव के 5 में से एक मस्तक को काट दिया।
भगवान कालभैरव की पूजा तामसिक पद्धति से होती है यानी इनकी पूजा में मांस, मदिरा यानी शराब आदि चीजें विशेष रूप से चढ़ाई जाती हैं। इनके कईं प्रसिद्ध मंदिर भी देश में हैं।