भारत सहित दुनिया भर में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं, पाकिस्तान में हिंदू किस हाल में जन्माष्टमी सेलिब्रेट करते हैं?
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय जन्माष्टमी को धूमधाम से मनाने का प्रयास करता है, लेकिन वहां के माहौल में यह आसान नहीं है। जान तक का खतरा रहता है।
अमरकोट जैसे इलाकों में, जहां 52% से ज्यादा आबादी हिंदू है, वहां के मंदिरों में जन्माष्टमी की तस्वीरें सामने आती हैं। लेकिन क्या यह पूरे पाकिस्तान की हकीकत है?
पाकिस्तान में हिंदू मंदिरों पर हमले आम बात हो गई है। साल 2021 में सिंध के खिप्रो में एक कृष्ण मंदिर पर हमला हुआ था। 1947 के समय पाकिस्तान में 300 से ज्यादा हिंदू मंदिर थे।
लेकिन अब यह संख्या घटकर 50 से भी कम रह गई है। कई मंदिरों को तोड़ दिया गया, तो कुछ को दूसरी इमारतों में तब्दील कर दिया गया।
लाहौर, रावलपिंडी, इस्लामाबाद, कराची जैसे बड़े शहरों में अभी भी कुछ कृष्ण मंदिर मौजूद हैं। लेकिन इन मंदिरों की सुरक्षा और संरक्षण हमेशा एक चुनौती बनी रहती है।
इस्लामाबाद में बन रहे एक कृष्ण मंदिर को लेकर विवाद जारी है, जहां फतवा- धार्मिक विवादों ने निर्माण को रोक रखा है। यहां कराची, लरकाना, सिंध, हैदराबाद में इस्कॉन के कुछ मंदिर हैं।
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लिए जन्माष्टमी मनाना किसी संघर्ष से कम नहीं है। फिर भी अपने धर्म और परंपराओं को जीवित रखने के लिए हर साल हिंदू पूरी श्रद्धा से जन्माष्टमी मनाते हैं।