क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान में एक आदमी की तरह देवी-देवताओं को भी कानूनी अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों का उपयोग देवी-देवता कैसे कर सकते हैं, आगे जानिए…
भारतीय संविधान में देवी-देवता को लीगल व्यक्ति माना गया है। यानी उन्हें एक आम आदमी की तरह सभी कानूनी अधिकार प्राप्त होते हैं। इसी के जरिए वे कोर्ट केस भी लड़ सकते हैं।
जैसे कंपनी लीगल पर्सन होती है और ट्रस्ट के जरिए अपने काम करती हैं, उसी तरह हिंदू देवी-देवता भी अपने प्रतिनिधि जैसे पुजारी के जरिए अपने कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं।
कोर्ट के मामलों में देवता को नाबालिग मानते हैं। इसलिए इनके प्रतिनिधि को संपत्ति बेचने, खरीदने, ट्रांसफर करने और न्यायालय में केस लड़ने सहित सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं।
भारतीय संविधान में देवी-देवताओं को हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत संपत्ति के अधिकार दिए गए हैं। अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश इसी आधार पर आया था।
जैसे देवी-देवता किसी के खिलाफ केस लड़ सकते हैं, उसी तरह देवी-देवताओं के खिलाफ भी सिविल केस किए जा सकते हैं, लेकिन क्रिमिनल केस नहीं किए जा सकते हैं।
भारत में देवी-देवताओं को साल 1888 में जूरिस्टिक पर्सन यानी लीगल व्यक्ति माना गया था। हिंदू देवी-देवताओं को स्कूल, कॉलेज चलाने और ट्रस्ट बनाने का भी कानूनी अधिकार मिला है