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Chankya Niti: इन 3 कामों में शर्म करना यानी अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना

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इन कामों में न करें शर्म

आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में 3 काम ऐसे बताए हैं, जिन्हें करने में शर्म नहीं करना चाहिए। जो लोग इन कामों में शर्म करते हैं, उन्हें नुकसान होता है। जानें इन 3 कामों के बारे में…

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चाणक्य नीति का श्लोक

धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत॥

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श्लोक का अर्थ

आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी पैसों के मामले में, भोजन करते समय और ज्ञान लेते समय शर्म नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा खुद का ही नुकसान होता है।

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पैसों के मामले में न करें शर्म

आचार्य चाणक्य के अनुसार, पैसों के लेन-देन में शर्म नहीं करनी चाहिए, जो ऐसा करता है, उसे नुकसान उठाना पड़ता है। पैसों के मामले में व्यक्ति को साफ और स्पष्ट बात करनी चाहिए।

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भोजन करने में न करें शर्म

जो लोग भोजन करने में शर्म करते हैं वो निश्चित रूप से भूखे ही रह जाते हैं। इसलिए कभी भी कहीं भी भोजन करते समय शर्म नहीं करना चाहिए। ऐसा करना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।

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ज्ञान लेने में न करें शर्म

आपने आपमें कुछ सीखने की इच्छा है तो बिना शर्म किए अपने मन की जिज्ञासा को शांत करें। जो लोग अपने मन ही बात मन में रख लेते हैं, वे सभी संपूर्ण शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाते।

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