आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में 3 काम ऐसे बताए हैं, जिन्हें करने में शर्म नहीं करना चाहिए। जो लोग इन कामों में शर्म करते हैं, उन्हें नुकसान होता है। जानें इन 3 कामों के बारे में…
धनधान्यप्रयोगेषु विद्यासङ्ग्रहणेषु च।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेत॥
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति को कभी भी पैसों के मामले में, भोजन करते समय और ज्ञान लेते समय शर्म नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से हमारा खुद का ही नुकसान होता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, पैसों के लेन-देन में शर्म नहीं करनी चाहिए, जो ऐसा करता है, उसे नुकसान उठाना पड़ता है। पैसों के मामले में व्यक्ति को साफ और स्पष्ट बात करनी चाहिए।
जो लोग भोजन करने में शर्म करते हैं वो निश्चित रूप से भूखे ही रह जाते हैं। इसलिए कभी भी कहीं भी भोजन करते समय शर्म नहीं करना चाहिए। ऐसा करना खुद के पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
आपने आपमें कुछ सीखने की इच्छा है तो बिना शर्म किए अपने मन की जिज्ञासा को शांत करें। जो लोग अपने मन ही बात मन में रख लेते हैं, वे सभी संपूर्ण शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाते।