महाभारत में द्रौपदी एक महत्वपूर्ण पात्र है। द्रौपदी पांच भाइयों की पत्नी थी। ऐसे में ये सवाल उठता है कि द्रौपदी कैसे इन पांचों भाइयों के साथ रहती थी। इसका रहस्य भी महाभारत में है…
द्रौपदी पूर्वजन्म में एक ब्राह्मण कन्या थी। उस जन्म में उन्होंने शिवजी से भरतवंशी पति का वरदान 5 बार मांगा था। इसलिए इस जन्म में उन्हें पांचों पांडव पति रूप में मिले।
द्रौपदी से विवाह के बाद नारद मुनि पांडवों से मिलने आए। उन्होंने सुन्द-उपसुन्द नाम के राक्षसों की कथा सुनाई, जो तिलोत्तमा नाम की अप्सरा के कारण आपस में लड़कर मारे गए थे।
नारद मुनि की बात सुनकर युधिष्ठिर को लगा कि द्रौपदी के कारण भविष्य में हम पांचों भाइयों में विवाद की स्थिति न बने। इसके लिए उन्होंने द्रौपदी के साथ रहने का कुछ नियम बनाए।
युधिष्ठिर ने अपने अन्य भाइयों के सामने ही द्रौपदी के साथ रहने का एक खास नियम बनाया। उसके अनुसार प्रत्येक भाई के साथ द्रौपदी उसके महल में एक वर्ष तक निवास करेगी।’
युधिष्ठिर ने नियम तोड़ने वाले के लिए दंड भी निर्धारित किया कि ‘यदि एक भाई दूसरे को द्रौपदी के साथ उसके महल में जाकर देख ले तो उसे 12 साल के लिए वनवास में रहना पड़ेगा।’
महाभारत के अनुसार, एक बार द्रौपदी युधिष्ठिर के महल में थी, तब किसी कारणवश अर्जुन को वहां जाना पड़ा, इससे नियम भंग हो गया। जिसके कारण अर्जुन को 12 साल वन में रहना पड़ा।