प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 में साधु-संतों के साथ-साथ अघोरी भी आएं हैं। आमतौर पर दुनिया से अलग रहने वाले अघोरी कुंभ के दौरान सिद्धि प्राप्त करने के लिए आते हैं।
अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि ये इंसानी मांस भी खा लेते हैं। सुनने में ये बात डरावनी लगे लेकिन इसके पीछे कईं रहस्य छिपे हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
अघोरियों के बारे में कहा जाता है कि ये इंसानों को मारकर उनका मांस बड़े शौक से खाते हैं, लेकिन ये बात बिल्कुल गलत है। ये सिर्फ अफवाह है, इसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है।
अघोरी किसी जीवित इंसान को मारकर उसका मांस नहीं खाते लेकिन वे चिता में से मुर्दें का मांस निकालकर जरूर खाते हैं। काशी के महाश्मशान में आप ये दृश्य आसानी से देख भी सकते हैं।
जब कोई व्यक्ति अघोरी बनता है तो उसके लिए मुर्दे का मांस खाना अनिवार्य होता है। इसके बिना उसकी दीक्षा पूरी नहीं होती। श्मशान और शव साधना के दौरान अघोरी मुर्दें का मांस खाते हैं।
अघोरी अपनी सभी साधनाएं गुप्त रूप से करते हैं। इसे कोई दूसरा व्यक्ति नहीं देख सकता। अघोरी मूल रूप से भगवान शिव के उपासक होते हैं और उनके अघोर रूप की पूजा करते हैं।