कुंभ मेला छोड़ने से पहले साधु-संत कौन-सा खास भोजन बनाते हैं?
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कुंभ मेला छोड़ने से पहले साधु-संत कौन-सा खास भोजन बनाते हैं?

महाकुंभ 2025 अंतिम दौर में
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महाकुंभ 2025 अंतिम दौर में

13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हुआ महाकुंभ 2025 अपने अंतिम दौर में है। कईं अखाड़े तो यहां से जा भी चुके हैं। शेष अखाड़े भी कुछ ही दिनों में यहां से अपने-अपने स्थानों पर चले जाएंगे।

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महाकुंभ 2025 के कितने स्नान शेष?
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महाकुंभ 2025 के कितने स्नान शेष?

महाकुंभ 2025 के 2 स्नान और शेष हैं। इनमें से पहला 12 फरवरी, बुधवार को माघी पूर्णिमा पर और दूसरा 26 फरवरी, बुधवार को महाशिवरात्रि के मौके पर किया जाएगा।

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कुंभ छोड़ने से पहले खास भोजन
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कुंभ छोड़ने से पहले खास भोजन

साधु-संतों के अखाड़े जब भी कुंभ मेला छोड़ते हैं तो इसके पहले भोजन में कुछ खास चीजें बनाते हैं। इस भोजन का अर्थ यही होता है कि अब कुंभ मेला छोड़ने का समय हो चुका है।

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कढ़ी पकोड़ा यानी कुंभ से विदाई

कुंभ छोड़ने से पहले अखाड़ों में पकोड़े वाली कढ़ी बनाई जाती है और ये कहा जाता है- कढ़ी पकोड़ा बेसन का, रस्ता पकड़ो स्टेशन का। यानी अब यहां से हमें अपने-अपने स्थानों पर पुन: लौटना है।

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प्रसाद मानकर खाते हैं कढ़ी

कुंभ से जाने से पहले अखाड़ों में कढ़ी व अन्य चीजें बनाई जाती है, इसे साधु प्रसाद मानकर खाते हैं। इसे थाली में जूटा नहीं छोड़ते। एक बार थाली में जो आ गया, उसे खाना अनिवार्य है।

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