प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 शुरू हो चुका है। इस मेले में लाखों साधु-संत विचित्र वेश-भूषा में नजर आ रहे हैं, लेकिन इन सभी में एक बात समान है वो है गेरूए यानी भगवा वस्त्र।
भगवा वस्त्र साधु-संतों की पहचान है। बिना भगवा वस्त्र के साधु-संतों की कल्पना भी नहीं की जाती है। भले ही कोई कितना भी बड़ा सिद्ध संत ही क्यों न हो, वह भी भगवा वस्त्र ही पहनता है।
साधु-संतों के भगवा वस्त्र पहनने के पीछे कईं कारण हैं जैसे- भगवा रंग आध्यात्म का प्रतीक है। अग्नि का रंग भी भगवा होता है जो बहुत पवित्र होती है। अग्नि को भगवान का मुख भी कहते हैं।
भगवा रंग में पंच तत्वों में 4 के नाम शामिल हैं, भ से भूमि, ग से गगन यानी आकाश, व से वायु और अ की मात्रा से अग्नि। इसलिए भी भगवा रंग को बहुत ही पवित्र माना गया है।
हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, जिनमें आज्ञा चक्र भी है। इस चक्र का रंग भी गेरूए यानी भगवा माना गया है। जिस व्यक्ति का आज्ञा चक्र विकसित हो जाता है वह सीधे परमात्मा से जुड़ जाता है।
Color Therapy: Healing with Color किताब की मानें तो भगवा रंग हमें अंदर से सुखी और शांत रखता है। ये रंग हमारे दिन को को हैप्पी सिग्नल्स यानी खुशहाली के संकेत भी देता है।