महिलाओं की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। युधिष्ठिर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। युधिष्ठिर ने महिलाओं को एक श्राप दिया था। आगे जानिए क्या था वो श्राप…
महाभारत युद्ध में अर्जुन के हाथों कर्ण की मृत्यु के बाद पांडवों ने अन्य योद्धाओं का वध कर या हराकर ये युद्ध जीत लिया। युद्ध के बाद युधिष्ठिर को हस्तिनापुर का राजा बनाया गया।
महर्षि वेदव्यास एक दिन पांडवों के पास आए और कहा कि ‘तुम्हारे हाथों अपने सगे-संबंधियों का वध हुआ है, इसके लिए तुम्हें उन सभी के लिए तर्पण, पिंडदान आदि कर्म करने चाहिए।’
पांडवों ने महर्षि वेदव्यास की बात मान ली और अपने सभी सगे-संबंधियों को तर्पण करे गंगा नदी के तट पर हुए। वहां उन्होंने अपने भाई, बच्चों सहित कौरवों का भी विधि पूर्वक तर्पण किया।
तब पांडवों की माता कुंती ने कहा कि ‘तुम कर्ण के नाम से भी तर्पण करो, ताकि उनकी आत्मा को भी मोक्ष की प्राप्ति हो।’ युधिष्ठिर ने जब इसका कारण पूछा तो कुंती ने पहले तो कुछ नहीं बताया।
बाद में कुंती ने बताया कि ‘कर्ण मेरा बड़ा पुत्र और तुम्हारा सबसे बड़ा भाई था।’ माता के मुख से पूरी बात जानकर युधिष्ठिर को बहुत दुख हुआ अपनी माता पर बड़ा क्रोध भी आया।
तब युधिष्ठिर ने महिलाओं को श्राप दिया कि ‘कोई भी स्त्री गुप्त बातें छिपाकर नहीं रख पाएंगी।’ इसलिए कहते हैं कि महिलाओं के पेट में कभी कोई राज की बात नहीं टिक पाती।’