राजा पांडु के पुत्र होने से युधिष्ठिर व इनके भाई पांडव कहलाए, तो वहीं धृतराष्ट्र के पुत्रों को कौरव कहा गया। धृतराष्ट्र के पुत्रों को कौरव ही क्यों कहा गया, आगे जानिए इसका कारण…
महाभारत के अनुसार, राजा विचित्रवीर्य के 2 पुत्र हुए-पांडु और धृतराष्ट्र। राजा पांडु के नाम से इनकी संतानों को यानी युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को पांडव कहा गया।
धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी ने महर्षि वेदव्यास के आशीर्वाद से 100 पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें से दुर्योधन और दु:शासन आदि मुख्य थे। धृतराष्ट्र के इन 100 पुत्रों को कौरव कहा गया।
धृतराष्ट्र के पुत्रों को कौरव कहे जाने का कारण कम ही लोगों को पता है, वो ये है कि इस वंश में किसी समय कुरु नाम के राजा हुए थे। उन्हीं के नाम से इस वंश का नाम कुरूवंश पड़ा।
महाराजा कुरु के वंशज होने के कारण ही धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों को महाभारत में कौरव कहा गया है। कौरव शब्द का एक अर्थ राजा कुरु के वंश में पैदा होने वाला भी है।
राजा कुरु ने कुरुक्षेत्र में तपस्या कर ये वरदान पाया था कि जिसकी भी मृत्यु इस क्षेत्र में होगी, उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। यही कारण है कौरवों और पांडवों का युद्ध यहीं लड़ा गया।