उड़ीसा में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा के बाद रथों का क्या किया जाता है, ये बात कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए इन रथों से जुड़ी खास बातें…
जगन्नाथ रथयात्रा के लिए हर साल नए रथों का निर्माण किया जाता है। रथ बनाने का काम अक्षय तृतीया से शुरू होता है। इन्हें बनाते समय कईं बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
रथयात्रा के बाद इन रथों के कुछ हिस्सों की नीलामी कर दी जाती है। रथ के हिस्सों की प्रक्रिया भी काफी जटिल होती है। नीलामी के लिए योग्य लोगों को ही आमंत्रित किया जाता है।
जो भी व्यक्ति रथ के हिस्सों को नीलामी में खरीदता है, वो इसका दुरुपयोग न कर पाए इसके लिए मंदिर समिति के लोग जांच-पड़ताल करते हैं। इसके बाद ही रथ के हिस्से बेचे जाते हैं।
रथ के हिस्सों में सबसे ज्यादा कीमती इसका पहिया होता है। इसकी शुरूआती कीमत 50 हजार होती है। जो भी व्यक्ति इसकी अधिक बोली लगाता है, उसे ये पहिया दे दिया जाता है।
नीलामी के बाद रथ का जो भी भाग बच जाता है, उसे जगन्नाथ मंदिर की रसोई में भेज दिया जाता है। इसका उपयोग भगवान के भोग बनाने के लिए ईंधन के रूप में कर लिया जाता है।