प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में साधु-संतों के रहस्यमयी रूप देखने को मिल रहे हैं, इनमें नागा और अघोरी के साथ कापालिक भी शामिल हैं। बहुत कम लोग कापालिक साधुओं के बारे में जानते हैं।
कापालिक साधु भीड़-भाड़ से दूर सुनसान स्थान पर अपनी साधना करते हैं। ये हमेशा काले कपड़े पहनते हैं और भगवान शिव की भक्ति करते हैं। इनका रूप किसी को भी डरा सकता है।
सबसे अजीब बात ये है कि कापालिक साधु इंसान की खोपड़ी में ही भोजन करते और पानी पीते हैं। इंसानी खोपड़ी यानी कपाल को अपने साथ रखने के कारण ही इनका नाम कापालिक है।
कापालिक साधु कभी भी दिन के उजाले में लोगों के सामने नहीं आते, वे हमेशा रात में ही सुनसान स्थान पर अपनी साधना करते हैं। साधना में वे मांस, मदिरा आदि चीजों का उपयोग भी करते हैं।
कापालिक साधना में मुख्य साधक को भैरव और साधिका को त्रिपुर सुंदरी कहा जाता है। इस साधना में कापालिक अपनी भैरवी साधिका को पत्नी के रूप में भी स्वीकार कर सकता था।
कापालिक अपनी साधना के दौरान इंसानी मांस भी खाते हैं। सिद्धियां पाने के लिए ये मुर्दों को भी अपनी पूजा में शामिल करते हैं और उनकी आत्मा को वश में करते हैं, ऐसा कहा जाता है।