Hindi

Pics: ग्लैमर छोड़ पहना भगवा, महाकुंभ 2025 में आईं सबसे सुंदर साध्वी

Hindi

शुरू हो चुका है महाकुंभ

13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू हो चुका है। कुंभ में कईं साध्वियां नजर आ रही हैं। इन्हीं में से एक हैं हर्षा ऋच्छारिया, जिन्होंने ग्लैमर की दुनिया को छोड़ आध्यात्म चुना है।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

महामण्डलेश्वर की शिष्या हैं हर्षा

हर्षा आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री कैलाशानंदगिरी जी महाराज की शिष्या हैं और पिछले 2 सालों से धर्म के मार्ग पर चल रही हैं। सुकून की तलाश में हर्षा ने धर्म का रास्ता अपनाया है।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

सुकून के लिए चुना धर्म का मार्ग

हर्षा की उम्र महज 30 साल है। उनके लिए इतनी कम उम्र में साध्वी बनने का निर्णय लेना आसान नहीं था, लेकिन जब उन्हें किसी और काम में सुकून नहीं मिला तो उन्हें धर्म का मार्ग चुना।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

ग्लैमर की दुनिया से मोह भंग

ग्लैमर जगत के लिए हर्षा ऋच्छारिया का नाम नया नहीं है। हर्षा एक्टिंग के साथ-साथ एंकरिंग भी कर चुकी हैं। देश-विदेश में घूम चुकी हर्षा का अब ग्लैमर जगत से मोह भंग हो चुका है।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

ग्लैमर जगत में सुकून नहीं

अपने करियर के पिक टाइम पर हर्षा ने सबकुछ छोड़कर आध्यात्म का रूख किया है। उनका कहना है कि ग्लैमर में पैसा और शोहरत जरूर है लेकिन सुकून बिल्कुल भी नहीं।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

किस्मत में लिखी होती है भक्ति

हर्षा के अनुसार, जब भक्ति आपको अपनी ओर खीचंती है तो आपको सुकून मिलना शुरू होता है। लोग घरों को छोड़कर मंदिरों में रहना शुरू कर देते हैं। ऐसा किस्मत वालों के साथ ही होता है।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia
Hindi

सोशल मीडिया पर एक्टिव

हर्षा इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी लगातार एक्टिव रहती हैं। उनकी पोस्ट्स में धर्म के साथ-साथ अध्यात्म और भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।

Image credits: Instagram@HarshaRicharia

रात को सोने से पहले करें ये 5 काम, ऑलवेज रहेंगे स्ट्रेस फ्री और हैप्पी

बड़े से बड़ा कर्ज हो सकता है चुकता, करें बाबा बागेश्वर का ये अचूक उपाय

कैसे लोग धरती पर ही लेते हैं स्वर्ग के मजे? जानें आचार्य चाणक्य से

कैसे किया जाता है नागा साधुओं का ’लिंग भंग’?