समाज में यह मान्यता है कि माता-पिता को अपनी बेटी के घर से पानी नहीं पीना चाहिए। यह सोच कई परिवारों में गहराई से फैली हुई है।
हाल ही में एक महिला ने प्रेमानंद महाराज जी से पूछा कि क्या यह पाप है कि माता-पिता अपनी बेटी के घर से पानी पिएं। उसकी मां बीमार हैं, और वह उनकी देखभाल करना चाहती है, लेकिन डरती हैं।
प्रेमानंद जी महाराज ने कहा- शास्त्रों में बेटे और बेटियों के बीच कोई भेद नहीं है। महिलाओं को पूजा योग्य माना जाता है। इसलिए यह मानना गलत है कि बेटी के घर से पानी नहीं पीना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "आजकल, माता-पिता अपने अंतिम दिनों को अकेले गुजारते हैं, जबकि बच्चे संपत्ति के लिए झगड़ते हैं। माता-पिता की सेवा करना बच्चे का सर्वोच्च कर्तव्य है।"
प्रेमानंद जी महाराज जी की बातें समाज की पुरानी सोच को चुनौती देती हैं। यह हमें याद दिलाती हैं कि परिवार में जिम्मेदारियों को निभाना महत्वपूर्ण है।
इस वार्ता ने केवल उस महिला को ही नहीं, बल्कि कई भक्तों को यह समझाया कि माता-पिता की सेवा प्राथमिकता होनी चाहिए।
इसलिए हमें ऐसे भेदभाव से मुक्त होकर अपने माता-पिता का सम्मान और सेवा करनी चाहिए, चाहे वे किसी भी स्थिति में हों।