बिना पैसों के भी दान-पुण्य किया जा सकता है। सुनने में ये बात थोड़ी अजीब लग सकती है , लेकिन वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज का भी यही कहना है। जानें ऐसा क्यों कहा महाराज ने…
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने कहा कि ‘मेरे मन में गरीबों की सहायता करने की बहुत इच्छा होती है, लेकिन पैसा न होने के कारण मैं ऐसा कर नहीं पाता। गुरुजी, मैं क्या करूं?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘किसी की सहायता करने का भाव आपके मन में है, ये बड़ी बात है। रही बात धन की तो जितना आपके पास है उसी से दीन-दुखियों की सहायता करो।’
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘दान के लिए पैसों के लिए भावना की जरूरत है। यदि आप रोज 4 रोटी खाते हैं तो उसमें से एक पशु-पक्षी के लिए निकाल दीजिए तो ये भी दान है।’
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ‘अगर कोई भिझुक आपके दरवाजे पर आ जाए तो अपने स्थान पर उसे भोजन कर दीजिए, आप उस दिन उपवास कर लीजिए। इससे बड़ा कोई दान नहीं है।’