देशभर के साथ दुनियाभर में दशहरा पर्व की धूम मची हुई है।
विजयादशमी पर जगह-जगह रावण के पुतले का दहन किया जा रहा है।
राम की रावण पर विजय के प्रतीक के तौर पर दशहरा मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक रावण को वरदान था कि वो किसी देवता, गंधर्व, राक्षस आदि हाथों नहीं मारा जा सकता।
दशानन का वध करने के लिए ही नारायण ने नर के रूप में जन्म लिया था।
हालांकि रावण को पृथ्वी पर मौजूद इन दो प्राणियों से हमेशा अपनी मृत्यु का भय था।
देवराज इंद्र का पुत्र बाली अति बलशाली था, उसे वरदान भी मिला था। जो भी उसके सामने युद्ध के लिए आता था उसकी आधी शक्तियां बाली को मिल जाती थीं।
एक बार बाली और रावण का आमना-सामना हो गया था। इसके बाद बाली ने रावण को अपनी बगल में दबा लिया था। रावण के क्षमा याचना के बाद बाली ने दशानन को मुक्त किया था।
हनुमान जी से भी रावण भय खाता था। लंका दहन के दौरान वो बजरंगबली की शक्ति से परिचित हो गया था।
भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी कभी भी रावण का वध कर सकते थे, लेकिन श्रीराम के प्रण की वजह से उन्होंने हर बार रावण को जीवित छोड़ दिया।