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Dussehra:Ram से नहीं इन दो योद्धा से डरता था रावण,कभी भी कर सकते थे वध

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दशहरा का उत्साह

देशभर के साथ दुनियाभर में दशहरा पर्व की धूम मची हुई है।

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रावण-मेघनाद-कुंभकर्ण का वद प्रदर्शन

विजयादशमी पर जगह-जगह रावण के पुतले का दहन किया जा रहा है।

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असत्य पर सत्य की जीत का पर्व

राम की रावण पर विजय के प्रतीक के तौर पर दशहरा मनाया जाता है।

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असीमित शक्तियों का स्वामी था रावण

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक रावण को वरदान था कि वो किसी देवता, गंधर्व, राक्षस आदि हाथों नहीं मारा जा सकता।

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नर के द्वारा ही हो सकता था रावण का वध

दशानन का वध करने के लिए ही नारायण ने नर के रूप में जन्म लिया था।

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रावण को हमेशा लगा रहता था वध का डर

हालांकि रावण को पृथ्वी पर मौजूद इन दो प्राणियों से हमेशा अपनी मृत्यु का भय था।

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पृथ्वी पर इन दो से था रावण को मृत्यु का भय

देवराज इंद्र का पुत्र बाली अति बलशाली था, उसे वरदान भी मिला था। जो भी उसके सामने युद्ध के लिए आता था उसकी आधी शक्तियां बाली को मिल जाती थीं।

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बाली ने कई दिनों तक रावण को बनाए रखा बंधक

एक बार बाली और रावण का आमना-सामना हो गया था। इसके बाद बाली ने रावण को अपनी बगल में दबा लिया था। रावण के क्षमा याचना के बाद बाली ने दशानन को मुक्त किया था।

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बजरंगबली से थर-थर कांपता था रावण

हनुमान जी से भी रावण भय खाता था। लंका दहन के दौरान वो बजरंगबली की शक्ति से परिचित हो गया था।

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हनुमान जी ने भगवान राम को दिए वचन की रखी मर्यादा

भगवान शिव के अंशावतार हनुमान जी कभी भी रावण का वध कर सकते थे, लेकिन श्रीराम के प्रण की वजह से उन्होंने हर बार रावण को जीवित छोड़ दिया।

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