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Sawan 2024: शिवजी के वाहन हैं नंदी, इनके कान में क्या बोलते हैं भक्त?

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बिना नंदी के शिव मंदिर अधूरा

शिवपुराण के अनुसार, नंदी भगवान शिव के अवतार, गण और वाहन तीनों हैं। हर शिव मंदिर के बाहर नंदी की प्रतिमा जरूर होती है। बिना नंदी के शिव मंदिर पूरा नहीं माना जाता।

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क्या है नंदी से जुड़ी ये परंपरा?

जब भी भक्त शिव मंदिर जाते हैं तो वहां नंदी के कान में चुपचाप कुछ बोलते हैं। भक्त नंदी के कान में क्या बोलते हैं और इस परंपरा के पीछे क्या मान्यता छिपी है, आगे जानिए…

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नंदी के कान में क्या बोलते हैं भक्त?

जब भी कोई भक्त शिव मंदिर जाता है तो वहां स्थित नंदी प्रतिमा के कान में अपनी मनोकामना बोलता है। ये परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। इसके पीछे एक खास कारण भी है।

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जानें इस परंपरा का कारण

मान्यता है कि महादेव हमेशा तपस्या में लीन रहते हैं। इस स्थिति में वे भक्तों की मनोकामना नहीं सुन पाते। ऐसे में नंदी सभी भक्तों की मनोकामना सुनकर शिवजी तक उसे पहुंचाते हैं।

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नंदी ने हजारों सालों तक की प्रतिक्षा

शिवपुराण के अनुसार, देवी सती की मृत्यु के बाद शिवजी ने हजारों सालों तक तपस्या की। इस दौरान नंदी ने भी उनकी प्रतिक्षा की। नंदी की प्रतिक्षा का यही रूप शिव मंदिरों में देखा जाता है।

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शिवजी के अवतार हैं नंदी

शिवपुराण के अनुसार, प्राचीन समय में शिलाद मुनि नाम के एक तपस्वी थे। उन्होंने महादेव जैसा पुत्र पाने के लिए घोर तपस्या की। तब शिवजी ने नंदी के रूप में उनके घर में जन्म लिया।

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