सावन मास 22 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो 19 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में शिवजी की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। शिव पूजा में बिल्व पत्र का उपयोग विशेष रूप से होता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भी शिव पूजा के लिए बिल्व पत्र तोड़ें तो एक विशेष मंत्र जरूर बोलना चाहिए। इस मंत्र में बिल्व पत्र का महत्व भी बताया गया है। आगे जानिए कौन-सा है वो मंत्र…
अमृतोद्भव श्रीवृक्ष महादेवप्रियःसदा।
गृह्यामि तव पत्राणि शिवपूजार्थमादरात्॥
अमृत से उत्पन्न होने वाले सौंदर्य व ऐश्वर्यपूर्ण वृक्ष, जो महादेव को हमेशा प्रिय है। भगवान शिव की पूजा के लिए हे वृक्ष मैं तुम्हारे पत्र (पत्ते) तोड़ता हूं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, बिल्व वृक्ष के मूल यानी जड़ में भगवान शिव का वास होता है। इसलिए इस वृक्ष की जड़ को सींचा जाता है। बिल्व वृक्ष के नीचे रोज दीपक लगाने का भी महत्व है।
सोमवार, अष्टमी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति के दिन बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। अगर सोमवार को शिव पूजा में बिल्व पत्र चढ़ाना हो तो रविवार को ही इसे तोड़कर रख लें।
बिल्व पत्र में तीन पत्तियां हो, वही सबसे अच्छा माना जाता है। बिल्व पत्र का उपयोग कईं बार किया जा सकता है। एक बार चढ़ाकर इसे शुद्ध जल से धोकर दोबारा उपयोग में ले सकते हैं।