इस बार 11 जुलाई, शुक्रवार से महादेव का प्रिय मास सावन शुरू हो रहा है। इस महीने में शिवजी की पूजा का महत्व है। महादेव की पूजा में बिल्व पत्र विशेष रूप से चढ़ाया जाता है।
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बिल्व पत्र चढ़ाने के नियम
शिवजी को बिल्व पत्र चढ़ाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। तभी पूजा का पूरा फल मिलता है। सभी को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए साथ ही खास मंत्र भी बोलना चाहिए।
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कैसा बिल्व पत्र न चढ़ाएं?
शिवजी को कभी भी कटा-फटा बिल्व पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा बिल्व पत्र महादेव की पूजा में स्वीकार्य नहीं किया जाता है और इसे चढ़ाने से कोई फल भी नहीं मिलता।
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कब न तोड़ें बिल्व पत्र?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सोमवार और चतुर्दशी तिथि पर बिल्व पत्र नहीं तोड़ना चाहिए, ऐसा करना शुभ नहीं होता। इसलिए इसके एक दिन पहले ही बिल्व पत्र तोड़कर रख लेना चाहिए।
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बिल्व पत्र में कितने पत्ते होना चाहिए?
बिल्व पत्र तीन पत्तों वाला होना चाहिए। ऐसा बिल्व पत्र ही शिवजी की पूजा के योग्य माना गया है। एक बार चढ़ाया गया बिल्व पत्र धोकर पुन: उपयोग में लिया जा सकता है।
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बिल्व पत्र चढ़ाने का मंत्र
शिवजी को बिल्व पत्र चढ़ाते समय ये मंत्र बोलें- त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥
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इस बात का भी रखें ध्यान
बिल्व पत्र को तोड़ने के बाद इसे साफ पानी से धोएं और फिर शिवजी को चढ़ाएं। बिना धुला या गंदा बिल्व पत्र भी शिवजी को नहीं चढ़ाना चाहिए, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है।